8TH SEMESTER ! भाग -2
Chapter-1: The Edge of Seduction
"अरमान...अरमान...उठ, वरना लेट हो जाएगा..."वरुण ना जाने कब से मुझे उठाने की कोशिश मे लगा हुआ था, और जब मैने बिस्तर नही छोड़ा तो हमेशा की तरह आज भी उसने पानी की एक बोतल उठाई और सीधे मेरे चेहरे पर उडेल दिया....
"टाइम कितना हुआ है..."आँखे मलते हुए मैं उठकर बैठ गया, और घड़ी पर नज़र दौड़ाई, सुबह के 8 बज रहे थे....भारी मन से मैने बिस्तर छोड़ा और बाथरूम मे घुस गया....
वरुण मेरा बचपन का दोस्त था और इसी की वजह से मैं नागपुर मे था, जहाँ हम रहते थे, वो एक कॉलोनी थी,जो कि शहर से दूर बना हुआ था,...इस कॉलोनी मे कई बड़े बड़े रहीस लोग भी रहते थे, तो कुछ मेरी तरह घिस घिस कर ज़िंदगी गुजारने वाले मे से भी थे....मेरे साथ क्या हुआ, मैने ऐसा क्या किया ,जिससे सब मुझसे दूर हो गये, ये सब वरुण ने कई बार जानने की कोशिश की...लेकिन मैने हर बार टाल दिया...
वरुण प्रेस मे काम करता था, उसकी हालत और उसके शौक देखकर इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल नही था कि उसकी सैलरी काफ़ी मोटी होगी और यदि मुझे कभी किसी चीज़ की ज़रूरत होती तो वो बिना कुछ कहे मुझ पर पैसे लूटा देता, ये जानते हुए भी कि मैं उसके पैसे कभी वापस नही करूँगा.....बचपन मे किये पुण्य का फल था ये...
"अब ब्रेकफास्ट क्या खाक करेगा , टाइम नही बचा है...."मैं बाथरूम से निकला ही था कि उसने मुझे टोका..."और पी रात भर दारू, साले खुद को देख ,क्या हालत बना रखी है..."
"अब तू सुबह सुबह भाषड़ मत दे..."मैने झुझलाते हुए कहा....
"अकड़ देखो इस लौन्डे की,..."वरुण बोलते बोलते रुक गया, जैसे उसे कुछ याद आ गया हो....वो थोड़ी देर रुक कर बोला..."वो तेरी आइटम आई थी, सुबह-सुबह...."
"कौन..."मैं जानता था कि वो किसकी बात कर रहा है, लेकिन फिर भी मैने अंजान बनने की कोशिश की...
"निशा..."
"निशा...."मैने अपना फोन देखा... निशा की बहुत सारी मिस कॉल पड़ी हुई थी....
"क्या बोली वो..."
"मुझसे तो बस इतना बोल के गयी कि, अरमान जब उठ जाए तो मुझे कॉल कर ले..."
"ओके...."
निशा हमारी ही कॉलोनी मे रहती थी, वो उन अय्याश लड़कियो मे से थी, जिनके माँ-बाप के पास बेशुमार धन-दौलत होती है, जिसे वो अपने दोनो हाथो से भी लुटाए तो भी उनके बैंक बैलेंस पर कोई फरक ना पड़े.....निशा से मेरी पहले मुलाक़ात कॉलोनी के गार्डन मे ही हुई थी, और जल्द ही हमारी ये पहली मुलाक़ात बिस्तर पर जाकर ख़तम हुई,...निशा उन लड़कियो मे से थी, जिनके हर गली , हर मोहल्ले मे मुझ जैसा एक बाय्फ्रेंड होता है, जिसे वो अपनी हवस मिटाने के लिए इस्तेमाल करती है...इस कॉलोनी मे मैं निशा का बाय्फ्रेंड था, या फिर यूँ कहे कि मैं उसका एक तरह से गुलाम था.....वो जब भी ,जैसे भी चाहे मेरा इस्तेमाल करके अपने शरीर के हवस को पूरा करती थी...दिल मे बार आया कि उसे छोड़ दूं, उससे बात करना बंद कर दूं, लेकिन मैने कभी ऐसा कुछ भी नही किया....क्यूंकी निशा के साथ बिस्तर पर बीता हुआ हर एक पल मुझे अपनी धिक्कार ज़िंदगी से बहुत दूर ले जाता था, जहाँ मैं कुछ पल के लिए सब कुछ भूल सा जाता था....
"चल ठीक है, मिलते है 12 घंटे के बाद..."वरुण ने मजाकिया अंदाज़ मे कहा....
हर रोज की तरह मैं आज भी उस स्टील प्लांट मे अपना खून जलाने के लिए निकल पड़ा,...मैं अभी रूम से निकला ही था कि निशा का कॉल फिर आने लगा...
"हेलो..."मैने कॉल रिसीव की...
"गुड मॉर्निंग साहबजादे,.उठ गये आप..."
"इतनी इज़्ज़त से कोई मुझसे बात करे, इसकी आदत नही मुझे...कॉल क्यूँ किया..."
"ओह हो...तेवेर तो ऐसे जैसे सच मे साहबजादे हो...आज मॉम - डैड रात मे किसी पार्टी के लिए जा रहे है...घर बिल्कुल खाली है...."
"ठीक है, रात को खाना खाने के बाद मैं आ जाउन्गा..."
कुछ देर तक निशा की तरफ से कोई आवाज़ नही आई और जब मैं कॉल डिसकनेक्ट करने ही वाला था तभी वो बोली...
"खाना ,मेरे साथ ही खा लेना..."
"ठीक है, मैं आ जाउन्गा..."
निशा ने मुझे आज रात अपने घर पर बुलाया था, जिसका सॉफ मतलब था कि आज मुझे उसके साथ उसी के बिस्तर पर सोना है.
निशा से बात करने के बाद मैं स्टील प्लांट की तरफ चल पड़ा, जहाँ मुझे 12 घंटे तक अपना खून जलाना था,...
मैं हर रात इस आस मे सोता हूँ कि, सुबह होते ही मेरा कोई भी खास दोस्त मेरे पिछवाड़े पर लात मार कर उठाए और फिर गले लगाकर बोले कि
"रिलैक्स कुत्ते, जो कुछ भी हुआ, वो सब एक सपना था...अब जल्दी से चल ,फर्स्ट क्लास दम्मो रानी की है, यदि लेट हुए तो अपना - अपना पकड़ कर पूरे पीरियड भर बाहर खड़ा रहना पड़ेगा...."
लेकिन जैसे ख्वाब हकीकत मे तब्दील नही होते वैसे ही... हक़ीक़त भी कभी सपने या ख्वाब मे तब्दील नही होती, फिर चाहे वो हकीकत अच्छी हो या बुरी, हमें उसी के साथ जीना पड़ता है ...मैने अपने साथ कुछ बहुत बुरा किया था...ये भी एक हक़ीक़त थी....जिस स्टील प्लांट मे मैं काम करता था, वहाँ मेरी किसी से कोई पहचान नही थी और ना ही कभी मैने उनसे मिलने-जुलने की कोशिश की....जब कभी एक दूसरे की हेल्प पड़ती तो "ये...ओये...ओये ग्रीन शर्ट...ओये ब्लू शर्ट..."ये सब बोलकर अपना काम चला लेते....उस दिन मैं रात को 9 बजे अपने रूम पर आया...वरुण मुझसे पहले आ चुका था....
"चल , हाथ-मुँह धो ले...दारू पीते है..."एक टेबल की तरफ वरुण ने इशारा किया, जहाँ ब्लैक डॉग की बोतल रखी हुई थी...
"मैं आज निशा के घर जा रहा हूँ..."
"अरे ग़ज़ब...मतलब आज पूरी रात, लाइव मैच होने वाला है..."
"लाइव मैच तो होगा, लेकिन दर्शक सिर्फ़ हम दोनो होंगे..."
"साला ,मुझे अभी तक ये समझ नही आया कि निशा जैसी हाई प्रोफाइल क्लास वाली लड़की ,तुझसे कैसे सेट हो गयी....मैं मर गया था क्या.."ब्लैक डॉग की बोतल खोलते हुए वरुण ने कहा"अरमान, एक काम कर...तू निशा से शादी कर ले...लाइफ सेट हो जाएगी...."
"सुझाव अच्छा है, लेकिन मुझे पसंद नही..."
"तो फिर एक और सरिया उठा के पिछवाड़े मे डाल लियो, ज़िंदगी और भी बढ़िया गुज़रेगी..."चिढ़ते हुए वरुण बोला...
"मैं चलता हूँ..."ये बोलकर मैं रूम से बाहर आया...
निशा की तरह मैं भी चाहता था कि वो हर रात मेरी साथ ही बिताए, यही कारण था कि मैने उसे अभी तक छोड़ा नही था...और एक दुखी, उदास, डिप्रेशन मे जी रहे आदमी से सेक्स करने की उसकी चाह ने भी मुझे उससे बाँध रखा था....वो हमेशा जब भी मुझसे मिलती तो यही कहती कि, तुम्हारे साथ बहुत मज़ा आता है और उसके ऐसा कहने के बाद मैं एक बनावटी मुस्कुराहट उसपर फेक के मारता था. जिसका निशाना हर बार ठीक बैठता था .....
"Come ."निशा ने दरवाजा खोलते हुए कहा, और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे जल्दी से अंदर खींच लिया....
"सब्र कर थोड़ी देर...."मैने अंदर ही अंदर हज़ार गालियाँ निशा को दी
अंदर आकर हम दोनो डाइनिंग टेबल पर बैठ गये, वो मेरे सामने वाली चेयर पर बैठी मुझे शरारत भरी नज़रों से देख रही थी, मैने भी उसकी आँखो मे आँखे डाली और इशारा किया कि मैं तैयार हूँ...मेरा इशारा पाकर वो एकदम से उठी और खाने की प्लेट को डाइनिंग टेबल पर रखकर सीधे मेरे उपर मेरी तरफ अपना चेहरा करके बैठ गयी.
"तुम डॉक्टर हो..."अपनी गहरे लाल रंग की शर्ट की बटन को खोलते हुए वो मुझसे पुछी ....
"नही, मैं इंडिया का प्रेसीडेंट हूँ...कुछ काम था क्या..."मैने भी अपनी खाने की प्लेट डाइनिंग टेबल पर रखी और उसके जीन्स का लॉक खोलते हुए बोला...उसने अपने दोनो हाथो से मेरे सर को पकड़ा और प्यार से सहलाने लगी....
"अरमान, तुम जानते हो मुझे सबसे ज़्यादा क्या पसंद है..."
"सेक्स....."मैं मन ही मन मे चिल्लाया और निशा की तरफ देख कर ना मे सर हिला दिया की मुझे नही पता.
मेरे सीने को सहलाती हुई निशा ने मेरी शर्ट को उतार कर फेक दिया और बेतहाशा मेरे सीने को किस करने लगी, मेरे हाथ भी हरकत मे आ गए और निशा के जिस्म मे इधर उधर विचरण करने लगे...
"आअहहस्सस्स....धत्त्त..."वो झूठे गुस्से के साथ बोली..
"नाइस ब्रा, काफ़ी अच्छा लग रहा है ,तुम पर...."उसकी ब्रा को उसके जिस्म से अलग करते हुए मैने कहा...
"यदि ये ब्रा, मेरे जिस्म पर इतना ही अच्छा लग रहा था तो फिर इसे उतारा क्यूँ...."
"क्यूंकी......"
वैसे तो मैं खुद को उसका गुलाम मानता था था,लेकिन इस दौरान वो मेरी गुलाम हो जाती थी...
"मना किया ना...आहह उउउहह"मेरा हाथ हटाते हुए वो बोली"कितनी बार मना किया है... ."
मैं इस वक़्त निशा से बहस नही करना चाहता था, इसलिए मैने उसकी बात मान ली
"जल्दी .....प्लीज़..i can not wait more..."उसकी आवाज़ मे कंपन था...जो मुझे मदहोश कर रही थी...
"बहुत जल्दी हो रही है आपको.."
"तू कसम से माल ही ऐसी है..."ऐसा कह कर वो मचल उठी "शादी कर लो मुझसे..."
और जब हमारी ये कामवासना तृप्त हुई तो मैने वो कहा जिसकी मैने कल्पना तक नही की थी...
"दिलवालो के घर तो कब के उजड़ चुके....
दिल के आशियाने तो कब के जल चुके....."
निशा से मैने सिर्फ़ इतना ही कहा ,जब उसने मुझसे शादी करने के लिए कहा...निशा ,मुझसे शादी करना चाहती है, ये सुनकर मैं कुछ देर के लिए जैसे कोमा मे चला गया था, मैं अब भी ज़मीन पर निशा के उपर लेटा हुआ था. मेरे द्वारा कही गयी इन दो पंक्तियो को सुनकर वो पल भर के लिए मुस्कुराइ और फिर मेरे सर पर हाथ फिराती हुई बोली
"तुमने अभी जो कहा, उसका मतलब क्या हुआ..."
"मैं तुमसे शादी नही कर सकता..."
जब मैने उसे ऐसा कहा तो मैने सोच लिया था कि उसके चेहरे पर नाराज़गी के भाव आएँगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ, वो मेरा सिर सहलाती रही.....
"मैं मज़ाक कर रही थी..."वो बोली"आक्च्युयली, डैड ने मेरी शादी कहीं और फिक्स कर दी है और नेक्स्ट वीक शायद लड़के वाले मुझे देखने भी आ रहे है...."
"गुड , लेकिन फिर मुझसे क्यूँ पुछा कि मैं तुमसे शादी करूँगा या नही..."मेरे हाथ धीरे धीरे उसके पूरे शरीर को सहला रहे थे....
"मैं जानना चाहती थी कि, तुम मुझसे प्यार करने लगे हो या नही..."मेरे हाथ की हरकतों से तंग आकर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, और हँसती हुई बोली...
"और मैं तुमसे प्यार करता हूँ या नही, ये तुम क्यूँ जानना चाहती थी.."मैने उसके हाथ को दूर किया और फिर से अपना काम शुरू कर दिया, उसकी आँखो मे प्यास फिर से उतरने लगी...
"मैने ये इसलिए पुछा क्यूंकी, मेरे जितने भी बाय्फ्रेंड है, जब मैने उन्हे कहा कि अब मैं उनके साथ रीलेशन नही रख सकती, तो वो बहुत उदास हुए, कुछ तो बच्चो की तरह रोने लगे और बोलने लगे कि,....निशा प्लीज़ मत जाओ, मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ, तो बस मैं यही जानना चाहती थी कि, कहीं औरो की तरह तुम्हे भी मुझसे प्यार तो नही हुआ है, वरना आज की रात के बाद तुम भी उन लड़को की तरह रोना धोना शुरू करते...."
"डोंट वरी, मैं ऐसा कुछ भी नही करूँगा.... ये रोना धोना मेरी प्रवत्ति नही है " मैने निशा के दोनो हाथो को उसके सिर के ऊपर ले जाकर कसकर पकड़ा..
"तुम्हे, एक बात बताऊ...आअहह..."
"हां बोलो..."
"उन लड़को ने कॉल कर कर के मुझे इतना परेशान कर दिया कि मुझे अपना नंबर तक चेंज करना पड़ा....ज़रा धीरे.. अरमान.. मार डालोगे क्या......?."
"यदि इस काम मे दर्द ना हो तो फिर मज़ा कैसा ..."
"प्लीज़ स्टॉप...."
"इस गाड़ी का ब्रेक फैल हो गया है..."
"इस गाड़ी को अभी रोको, रात बहुत लंबी है और सफ़र भी बहुत लंबा है.... तुम्हे क्या, तुम तो मेरे उपर लेटे हुए हो, यहाँ ज़मीन पर नीचे तो मैं लेटी हुई हूँ...उठो अभी..."
दिल तो नही चाहता था कि मैं उसे छोड़ू, लेकिन इसका अहसास मुझे हो गया था कि वो ज़मीन पर नीचे लेटकर बहुत देर तक मुझसे रास नही रचा सकती ,इसलिए मै खड़ा हुआ और हाथ का देकर सहारा देकर उसे भी उठाया....
"अब बाकी काम बिस्तर पर करते है..."वो एक बार फिर मुस्कुराइ, और अपने कपड़े उठाकर अपने बेडरूम के तरफ बढ़ी....निशा को निर्वस्त्र जाता देख मन फिर मचल उठा और दिल किया कि निशा को पीछे से पकड़ कर वापस अपने पास कर लू... लेकिन फिर सोचा कि जब रात लंबी है तो पूरी रात सोकर इसे छोटी क्यूँ बनाई जाए.......
जैसे कि अक्सर रहिसो के घर मे किसी कोने मे शराब की कुछ बोतले रखी होती है, वैसा ही एक छोटा सा शराबखाना निशा के घर मे भी था...जहाँ एक से एक ब्रॅंडेड दारू रखी हुई थी,...
मैं उस छोटे से शराबखाने की तरफ बढ़ा और वहाँ की चेयर पर बैठकर अपना पेग बनाने लगा, दो -तीन पेग मारकर मैने अपने कपड़े पहने और निशा के पूरे घर को देखा, निशा का घर बाहर से जितना बड़ा दिखता था, वो अंदर से और भी बड़ा और आलीशान था , हर एक छोटी से छोटी चीज़ से लेकर बड़ी से बड़ी चीज़ ब्रॅंडेड थी,...
दारू पीने के बाद मैं क्या सोचने लगता हूँ ये मैं खुद आज तक नही समझ पाया, दारू पीने के बाद मेरे पूरे दिमाग़ मे दुनियाभर की बाते आती है, कभी कभी किसी नेता का भाषण तो कभी कभी किसी पोर्न फिल्म की पोज़िशन, कभी कोई फिल्मस्टार एक्ट्रेस तो कभी कोई सोशल वर्कर.....लेकिन इस वक़्त अभी जो मेरे ख़याल मे आ रहा था, वो निशा के बारे मे था,...दारू और निशा दोनो ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था.....
निशा मे एक अजब सी कशिश थी , जो किसी भी मर्द को अपनी तरफ खींच सकती है, फिर चाहे वो निशा के फ्रैंक बेहेवियर से आकर्षित हो या उसकी अजब सी आकार मे ढली हुई छाती से या उसकी कटाक्ष फिगर से....
"अरमान, ज़रा उपर तो आना...."
"कौन है बे..."आवाज़ सुनकर मैं बौखलाया, लेकिन फिर ऐसे लगा जैसे कि मुझे निशा ने आवाज़ दी हो,...
"उसी ने बुलाया होगा..."मैने खुद से कहा और वहा से उठकर सीढ़ियो से उपर जाने लगा, मुझे निशा का बेडरूम मालूम था, इसलिए मैं सीधे वही पहुचा....
shweta soni
21-Jul-2022 01:41 PM
Bahot khub 👌
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Rohan Nanda
16-Dec-2021 11:57 AM
👏👏
Reply
Sana Khan
05-Dec-2021 08:15 AM
Good
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